Bhagwan ko Bhog kaise lgaye : भोग के बिना देवी-देवता की पूजा अधूरी मानी जाती है. हिन्दू धर्म की मान्यताओ के अनुसार भगवान को खुश करने के लिए उनको भोग लगाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है भगवान को भोग लगाने का सही तरीका क्या है ?
Bhog lgane ke niyam : हिंदू धर्म में रोजाना पूजा करने का बहुत महत्व है। नियमित पूजा से कई फायदे होते हैं. लेकिन पूजा का पूरा फल, भगवान की कृपा और सकारात्मकता तभी मिलती है जब पूजा नियम से की जाए। पूजा में मंत्र, पाठ आदि के साथ भोग लगाने का बड़ा ही महत्व है. यदि भोग को ठीक तरीके के साथ लगाया जाये तो भगवान प्रसन्न होते हैं। वैसे भी पूजा के समय हर देवी-देवता को भोग लगाना और नैवेद्य चढ़ाना जरूरी होता है। साथ ही यह सही विधि से हो यह भी जरुरी है .आइए जानते हैं भोग लगाने का मंत्र और सही तरीका।
भोग लगाते समय रखे इन बातो का ख्याल
भोग लगाने का मंत्र: भगवान को भोग लगाते समय भोग लगाने का मंत्र पढ़ना बहुत जरूरी है। ऐसा माना जाता है कि भोग लगाने का मंत्र पढ़ने से ही भगवान भोग स्वीकार करते हैं. इसलिए भोग लगाते समय ‘त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये. गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर..इस मंत्र का जाप करे
भगवान के सामने कितनी देर तक रखे भोग
भगवान को भोग लगाते समय इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि इसे कितनी देर तक भगवान के सामने रखा जाए। धार्मिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भोग को तुरंत भगवान के सामने से न हटाएं और न ही भोग को ज्यादा देर के लिए भगवान के मंदिर में छोड़ दें। बेहतर होगा कि पूजा करने के बाद करीब 5 मिनट तक भोग भगवान के सामने रखें. इसके बाद भोग को उठाएं और प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। घंटों तक मंदिर में प्रशाद न रखे , इससे नकारात्मकता बढ़ती है।
भोग के लिए बर्तन
भगवान को भोग लगाने के लिए बर्तन का सही होना जरूरी है । ध्यान रखें कि भगवान को नैवेद्य या भोग सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बने बर्तन में ही रखकर अर्पित करना चाहिए । बर्तन की धातु शुद्ध होनी चाहिए एल्युमीनियम, लोहा, स्टील, प्लास्टिक या कांच से बने बर्तन को भोग के लिए इस्तेमाल न करे ।
प्रसाद बांटने की विधि
भोग लगाने के बाद प्रसाद ज्यादा से ज्यादा लोगो में वितरित करना शुभ होता है । साथ ही आप स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें. लेकिन प्रसाद बांटते समय इस बात का ध्यान रखें कि भोग हमेशा सात्विक और साफ-सुथरे तरीके से लगाएं और उसी पवित्रता के साथ बांटें। तभी भगवान मनोकामना पूरी करते हैं।
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